Mountain, Parvat l World Geography sthalmandal.

दोस्तों आज हम आपके लिए  Mountain, Parvat l World Geography sthalmandal. की नोट्स  लेकर आए है , जो   Competitive exams के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है |

इस Mountain, Parvat l World Geography sthalmandal.. में  ऐसे Topics पर फोकस किया गया है जो Competitive exams की दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण है | इस नोट्स को तैयार करने में विभिन बुक्स का प्रयोग किया गया है जिससे आपको एकदम सही और सटीक जानकारी प्रदान कराई जा सके , और जो  आपके Competitive exams के लिए उपयोगी साबित हो  | 

पर्वत ( Mountain)

समस्त भूपटल पर  लगभग 26% भाग पर पर्वत एवं पहाड़ियों  का विस्तार है ,जो भूपर्पटी के द्वितीय श्रेणी के उच्चावच्च है |

  पर्वत अपने समीपवर्ती धरातल से सामान्यतः 1000 m से अधिक ऊंचे  ऐसे भाग है , जिनका ढाल तीव्र और शिखर संकुचित होता है |

  जबकि पर्वतों के लघु भाग को जिनका क्षेत्रीय विस्तार कम और उचाई 1000 m से कम होता है ,पहाड़ी कहलाती है |


आकार और स्वरूप की भिन्नता के अनुसार पर्वतीय स्थलाकृतिया -


• पर्वत कटक (mountain ridge )-

 संकीर्ण और ऊंची पहाड़ियों के क्रमबद्ध स्वरूप को पर्वत कटक कहा जाता है इनका एक ओर का ढाल तीव्र तथा दूसरी ओर का ढाल सामान्य होता होता है |

• पर्वत श्रेणी (mountain range )- 

एक ही काल मे निर्मित पहाड़ों एवं पहाड़ियों का ऐसा क्रम जिसमे कई  शिखर ,कटक और घाटियां इत्यादि  शामिल  हो , पर्वत श्रेणी के नाम से जाना जाता है | जैसे - हिमालय पर्वत श्रेणी |

• पर्वत शृंखला (mountain chain )- 

विभिन्न युगों मे निर्मित लंबे एवं सकरे पर्वतों का समानांतर विस्तार पर्वत शृंखला या पर्वत माला कहलाता है | जैसे -अप्लेशियन  पर्वतमाला , राकीज पर्वतमाला |

• पर्वत तंत्र (mountain system)- 

पर्वत तंत्र भी विभिन्न पर्वत श्रेणियों का समूह होता है ,किन्तु   पर्वत शृंखला के विपरीत इसमे एक ही युग मे निर्मित पर्वतों को शामिल किया जाता है जैसे -अप्लेशियन  पर्वत|

• पर्वत वर्ग (mountain group)-

जब पर्वतों का समूह एक गोलाकार रूप मे विस्तृत होता है तथा उसकी श्रेणियाँ एवं कटक असमान रूप से विस्तृत होते है तब  उसे पर्वत वर्ग कहते है |

• कॉर्डिलेरा  या पर्वत समूह (cordillera )- 

जब विभिन्न युगों मे निर्मित पर्वत श्रेणियाँ ,पर्वत शृंखला तथा पर्वत तंत्र एक साथ ही बिना किसी क्रम के विस्तृत होते है तब उसे कॉर्डिलेरा कहा जाता है |

जैसे - उत्तरी अमेरिका का प्रशांत तटीय पर्वतीय भाग | इसे प्रशांत कॉर्डिलेरा भी कहा जाता है |

पर्वतों का वर्गीकरण -

1. स्थिति के आधार पर -
        2. निर्माण प्रक्रिया के आधार पर 
3. पर्वत निर्माणकारी  घटना के आधार पर        

1.स्थिति के आधार पर 

A. स्थल स्थित पर्वत -

i. तटीय पर्वत -

महाद्वीपों के किनारे महासागरों के समांतर पाए जाते है |

 जैसे - उत्तरी अमेरिका के पश्चिमी तट पर राकीज , पूर्वी तट पर अप्लेशियन  पर्वत|

         दक्षिणी अमेरिका के पश्चिमी किनारे पर एंडीज़ पर्वत |

         यूरोप के दक्षिणी किनारे पर अल्पाइन पर्वत समूह |

         अफ्रीका के उत्तर पश्चिम किनारे पर एटलस पर्वत |

        Ii. आन्तरिक पर्वत -

तटों से दूर आंतरिक भागों मे पाए जाते है |

जैसे - यूराल पर्वत ,हिमालय पर्वत ,ब्लैक फॉरेस्ट ,

B. सागर  मे स्थित पर्वत - 

          जैसे - हवाई द्वीप का मौनाकी  पर्वत ( सागरतल से 4200 m  तथा सागर नितल से 9140 m ऊंचा )| 

निर्माण प्रक्रिया के आधार पर 

1. वलित पर्वत -

 जब चट्टानों मे पृथ्वी की आंतरिक शक्तियों द्वारा मोड या वलन पड़ जाते है तो उसे वलित पर्वत कहते है | वलित पर्वत सबसे ऊंचे तथा सर्वाधिक विस्तृत पर्वत है जैसे हिमालय पर्वत , अल्पाइन पर्वत समूह । रॉकीज़ ,एटलस  आदि  |

विशेषता 

ये भूतकाल के सबसे नवीनतम पर्वत है |

इनका निर्माण अवसादी चट्टानों मे दबाव से मोड़ पड़ने के कारण हुआ है |

वलित पर्वत मुख्य रूप से चाप के आकार मे पाए जाते है ,जिनका एक ढाल अवतल तथा दूसरा ढाल उत्तल होता है |जैस हिमालय का आकार तलवार के रूप मे है , जिसका उत्तरी किनारा अवतल तथा दक्षिणी किनारा उत्तल है |

2. ब्लॉक पर्वत -

अवरोधी पर्वतों का निर्माण तनाव की शक्तियों से हुआ है , खिचाव के कारण धरातलीय भागों मे दरारें पड़ जाती है , जिस कारण धरातल का कुछ भाग ऊपर उठ जाता है तथा कुछ भाग धंस जाता है इस प्रकार दरारों के समीप ऊंचे उठे भाग को ब्लॉक पर्वत कहते है  इनका आकार मेज के समान होता है जैसे - वसाच रेंज (USA)|

3. संग्रहीत पर्वत -

 धरातल के ऊपर मिट्टी ,लावा,मलवा , इत्यादि के निरंतर जमा होने से निर्मित पर्वत को संग्रहीत पर्वत कहते है | वास्तव मे ज्वालामुखी के उद्गार से निकला लावा,विखंडित पदार्थ तथा रखचूर्ण आदि के क्रमबद्ध या असंबद्ध संग्रह के फलस्वरूप संग्रहीत पर्वतों का निर्माण होता है | इसलिए इन्हे ज्वालामुखी पर्वत भी कहते है |

जैसे - फ्यूजीयामा (जापान ), कोटापैकसी (इक्वाडोर ), विसूवियस (इटली ), एकांकागुआ (चिली )  किलिमंजारो (अफ्रीका ) |

  

4 . गुम्बदाकार पर्वत - 

जब पृथ्वी के धरातलीय भाग मे चाप के आकार मे उभार होने से धरातलीय भाग ऊपर उठ जाता है ,तो उसे गुम्बदाकार पर्वत कहते है |

जैसे -USA का  ब्लैक हिल्स |

5. अवशिष्ट पर्वत - 

अपरदन की शक्तियों द्वारा जब प्रारम्भिक पर्वत अपरदित होकर अवशिष्ट के रूप मे दृष्टिगोचर होते है तो उन्हे अवरोधक या अवशिष्ट पर्वत कहा जाता है |

जैसे - भारत के विध्याचल , अरावली , सतपुड़ा , महादेव ,पश्चिमी घाट पहाड़ , पूर्वी घाट पहाड़ ,पारसनाथ आदि| 

6. जटिल पर्वत -

 जब किसी पर्वत में कई  पर्वत की विशेषताएं  सम्मिलित हो तो उसे जटिल पर्वत या मिश्रित पर्वत कहते है |

निर्माणकारी घटना के आधार पर पर्वत 

चर्नियल पर्वत -

 4 अरब से 59 करोड़ वर्ष पूर्व |

जैसे अरावली पर्वत (भारत ) ,लारेशियन पर्वत (उत्तरी अमेरिका ) आदि |

कैलिडोनियन पर्वत - 

लगभग 50 -36 करोड़ वर्ष पूर्व |

जैसे - भारत के विंध्याचल , महादेव ,सतपुड़ा आदि |

हर्सीनियन पर्वत -

28-24 करोड़ वर्ष पूर्व |

जैसे - यूराल ,  अल्टाई (एशिया ), आप्लेशियन  पर्वत (उत्तरी अमेरिका )

अल्पाइन पर्वत -

6.5 करोड़ वर्ष से पूर्व से आरंभ और आज भी सक्रिय |

हिमालय की तीनों श्रेणियाँ ,आल्पस , एटलस आदि 

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